छब्बीस दोहे “मुखरित है शृंगार”
प्रीत-रीत का जब कभी, होता है अहसास।मन की बंजर धरा पर, तब उग आती घास।१।—कुंकुम बिन्दी-मेंहदी, काले-काले बाल।कनक-छरी सी कामिनी,
Read Moreप्रीत-रीत का जब कभी, होता है अहसास।मन की बंजर धरा पर, तब उग आती घास।१।—कुंकुम बिन्दी-मेंहदी, काले-काले बाल।कनक-छरी सी कामिनी,
Read Moreहुआ सवेरा/पंछी चहचहाये/नींद उड़ाये अपनापन / अनमोल सौगात/प्यार जगाये रिश्तों की पूँजी/भावनाओं का मेल/ है धरोहर चाहतें नई/शालीनता सहेली/उम्र सिखाये
Read Moreमाता के वरदान से, होता व्यक्ति महान।कविता होती साधना, इतना लेना जान।।—कविता का लघु रूप हैं, शेर-दोहरे छन्द।सन्त-सूफियों ने किये,
Read Moreसमझ सके ना जिंदगी ,समझ सके ना प्रीत,जीवन भर सुनते रहे ,बस जीवन संगीत। आती जाती जिंदगी ,बदले पल पल
Read Moreकुहरा नभ पर देख कर, सहमा हुआ पलाश।कैसे आयेगा भला, उपवन में मधुमास।—धूप धरा पर है नहीं, ठिठुर रहा है
Read Moreछोड़ चलो तुम अहंकार को, बनो नेक इंसान। सदा सत्य मीठी वाणी हो, प्राप्त करो सम्मान।। आज जमाना सुंदरता का,
Read Moreछोड़कर गाँव के घर, दौड़ते थे शहर को, हरे भरे खेतों को तज, दौड़ते थे शहर को। न कहीं चौपाल
Read Moreलिए तिरंगा आ गया ,भारत का गणतंत्र सारे मजहब एक हैं, फूंक रहा यह मंत्र ।। प्रेम भाव सबसे रखो
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