हाइकु/सेदोका

हाइकु/सेदोका

आंखों से देखने की ख्वाहिश

खामोश दरीचे,रोशनी के संग उड़ते,अधूरे सपने। हवा ने छू ली,पलकों की नींद गहरी,चाँद मुस्कुराए। झील की लहरें,तस्वीरें बोल उठीं,मन खो

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हाइकु/सेदोका

अतीत के आँसू

भीगे हैं लम्हे,यादों की चुप खामोशी—बरसात ठहरी। पलकों के कोने,मौन कहानी कहते—वक़्त मुसाफ़िर। टूटे हुए स्वप्न,राख़ में ढूँढे उजाले—सवेरा जागा।

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हाइकु/सेदोका

अनपढ़ आंखें पूछती हैं

सड़कें सुनसान हैंअनकहे सवाल बिखरेनीर की बूँदें गिरें हवा भी पूछतीकौन सुनता आवाज़ यहाँपथिक ठिठकता सूरज ढलता हैछाया में छुपा

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हाइकु/सेदोका

हर सफलता के पीछे एक अधूरी रात होती है

चांद आधा सोया,सपनों की डोर,अब भी तनहा। नींद से दूर,आँखें जागतीं,मंज़िल पुकारे। क़दम थके हुए,दिल मगर बोले,रुकना मत अब। दीये

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हाइकु/सेदोका

पुस्तकें ही ज़िन्दग़ी है

पन्नों में बसीबीते युगों की खुशबू,मन को महकाए। शब्दों की नाव,विचारों की लहरों पर,सफ़र सुहाना। हर पृष्ठ कहे,जीवन के रंग

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