तनहा तो इतने थे
चाँद भी चुप था,रात की नमी में डूबी—यादें बेआवाज़। पेड़ की शाखों पर,साँसों का सन्नाटा था,हवा भी बोली नहीं। कदमों
Read Moreचाँद भी चुप था,रात की नमी में डूबी—यादें बेआवाज़। पेड़ की शाखों पर,साँसों का सन्नाटा था,हवा भी बोली नहीं। कदमों
Read Moreखामोश दरीचे,रोशनी के संग उड़ते,अधूरे सपने। हवा ने छू ली,पलकों की नींद गहरी,चाँद मुस्कुराए। झील की लहरें,तस्वीरें बोल उठीं,मन खो
Read Moreभीगे हैं लम्हे,यादों की चुप खामोशी—बरसात ठहरी। पलकों के कोने,मौन कहानी कहते—वक़्त मुसाफ़िर। टूटे हुए स्वप्न,राख़ में ढूँढे उजाले—सवेरा जागा।
Read Moreसड़कें सुनसान हैंअनकहे सवाल बिखरेनीर की बूँदें गिरें हवा भी पूछतीकौन सुनता आवाज़ यहाँपथिक ठिठकता सूरज ढलता हैछाया में छुपा
Read Moreचांद आधा सोया,सपनों की डोर,अब भी तनहा। नींद से दूर,आँखें जागतीं,मंज़िल पुकारे। क़दम थके हुए,दिल मगर बोले,रुकना मत अब। दीये
Read Moreसूरज ढला,पर उजाला ठहरा,मन अब भी जागे। पत्तों की धुन,कहती है चुपके से,कुछ भी स्थिर नहीं। घड़ी की सुई,चलती रही
Read Moreरात की चादर,चाँद की चुप हलचल में,तेरा नाम आया। हवा ने कहा,तेरी खुशबू संग लायी,बीते पल जागे। पेड़ की शाखों
Read Moreतेरी खामोशी में,छिपा है मेरा सुर भी —मन गुनगुनाता। भोर की किरणें,तेरे नाम से चमकें —दिन मुस्कुराए। साँसों की डोरी,तेरे
Read Moreपन्नों में बसीबीते युगों की खुशबू,मन को महकाए। शब्दों की नाव,विचारों की लहरों पर,सफ़र सुहाना। हर पृष्ठ कहे,जीवन के रंग
Read Moreभोर का तारा,अब भी आँखों में है —चलो उसी ओर। पंख थके हों भी,आसमान बुलाए —विश्वास रखो। मिट्टी की खुशबू,कहती
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