पीली सरसो लट चमके श्वेत बर्फ से ढकी ^^ रूपसी नारी सताई जाती जग सौंदर्य सजा ^^ बसंत ऋतु कोहरे में लिपटा बर्फ टुकड़ा ^^ जीवन माला सांस मनके चले तन नश्वर ^^ भीतर झाँको बंद नयन कर सुहानी झाँकी ^^ लोभ तनय तनया मरवाई पाप की हद ^^ स्वतंत्र देश औरत पराधीन स्व के […]
हाइकु/सेदोका
हाइकु
चमका रवि खिला अमलतास थिरके पक्षी रवि प्रदीप तिमिर का प्रहरी तेजसमयी तपता रवि जले विटप तन गर्म ऋतु में निकल आया सूरज मुखी थाल रश्मि के साथ बीती रजनी प्रकट रश्मिरथ बिखरी रोली — शान्ति पुरोहित
हाइकु -1
बिखरे नीड़ भस्म हुये सपने हृदय पीड़ घिरे बादल अंतर्मन सिसके हम घायल कुश की शैया व्यथित हुआ भीष्म मृत्यु लालसा ठिठके पाँव विरानापन देख औझल गाँव