कविता कहां तुम चले गए
हाथ छुड़ाकर तुम हो गए भीड़ में गुम कैसे ढूंढे हम,कहां हो तुम तुम्हें पुकारे हम कहां तुम चले गए।
Read Moreहाथ छुड़ाकर तुम हो गए भीड़ में गुम कैसे ढूंढे हम,कहां हो तुम तुम्हें पुकारे हम कहां तुम चले गए।
Read More( 1 ) खुद की रक्षा आज के लिए बनी देश-सुरक्षा । ( 2 ) संकट आया प्रकृति दोहन से
Read Moreये जब तक उनमें बीमारी रहेगी सियासत की तरफदारी रहेगी हम उसमें ढूंढते ही सच रहेंगे वो बातें सिर्फ अखबारी
Read Moreसदा फ़रिश्ते की रफ़ी, तेरी ये आवाज़ है महफ़िल का नूर ये, सबको तुझपे नाज़ // 1. // सुरों का
Read Moreकोरोना की मार से, होकर सब मजबूर बैठे हैं बेकार हम, कामगार मज़दूर // 1. // कोरोना के रोग ने,
Read Moreहाय! मार्च क्यों कर गया, यूँ जाने की भूल आया है सरकार फिर, आज अप्रैल-फूल // १. // आज
Read Moreहर्षित मन से सारे दीप धरो तुम द्वारे द्वारे रोशन पथ हो सारे पूरी हो अभिलाषा सब बंध कटे सारे
Read Moreप्रेम में बहुत शक्ति है इसे सींचते रहो हर दम दूरियां मायने नहीं रखती दिल में जगह बरकरार रहे आज
Read Moreदेखो तुम्हारे संसार की हालत क्या होगाई भगवान कितना लाचार है ये इंसान कितना बेबस है इंसान कोरोना की महामारी
Read Moreतुझसे मिलने की अधूरी ख्वाहिश लेकर, दामन में तेरी चाहत के फूल खिलाकर, अपनी तमन्नाओं को मन में ही दबाकर,
Read More