गीतिका
दुनिया ये बदल रही है, दृढ़ टूटते किले हैं।उलटा जमाना आया, कैसे ये सिलसिले हैं।। अपना हो उल्लू सीधा,फिर कौन
Read Moreआदमी को आदमी की खोज जारी। देह तो सबकी लगे वे आदमी हैंआदमी थे वे सभी कल आज भी हैंआदमी
Read Moreख़ामोश थी तन्हाई मेरी बुझा जख़्म दुखाया आपने।इश्क कहूॅं या मुहब्बत कहूॅं कैसा रोग लगाया आपने।। बैचेन रहा दिल यह
Read Moreगहन लगे सूरज की भांति ढल रहा है आदमी।अपनी ही चादर को ख़ुद छल रहा है आदमी॥ आदमी ने आदमी
Read Moreवक्त का व्यक्तित्व हैवरना कौन जानतायहां किसी को? पद की गरिमा हैवरना कौन करतायहां सम्मान किसी का? दिल की हसरत
Read Moreपरख पारखी की खरी, चुन चुन करें बखान।कीचड़ से मोती चुने, हीरे के गुण जान।। खोट भरा कितना कहाँ, जाने
Read Moreसुकूनजिसकी तलाश मेंभाग रहा है हर शख्ससुबह, शाम चारों पहर,शिद्दत से लगा है कमाने मेंधन-दौलत,नाम-शोहरत,पर पाकर भी उसेनहीं है सुकून
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