किस्मत के खेल
जिन्दगी में ये किस्मत भी क्या-क्या गुल खिला देती है, पल-पल में खुशियों का गुलदस्ता तो••• पल-पल में दुःखों का
Read Moreजिन्दगी में ये किस्मत भी क्या-क्या गुल खिला देती है, पल-पल में खुशियों का गुलदस्ता तो••• पल-पल में दुःखों का
Read More“मुक्त काव्य” दिन से दिन की बात है किसकी अपनी रात है बिना मांगे यह कैसी सौगात है इक दिन
Read Moreजीवन चक्र के प्रस्फुटन के प्रमाण हुए हैं चिन्हित पृथ्वीमंडल के शैलखंड पर धरा पर अस्तित्व का हस्तलेख अंकित है
Read Moreनिरर्थक साधनाओं में कैद होता संसार तुमको तलाशता सुदूर तीर्थों में और मैं लिखती हूं तुम्हारी विस्तृत हथेली पर वो
Read More(1) दुर्घटना पथ पर हुई, चोट लगी गम्भीर । देख देख सब चल दिये, जागा नही जमीर।। (2) कुमकुम विवश
Read Moreक्या पाया जड़ों से कट कर क्या पाया गांवों से हट कर भूखे बच्चे तड़प रहे हैं बूंद-बूंद को तरस
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