कविता शीर्षक – जागे से ख्वाब तेरे
उनिंदी पलकों में , जागे से ख्वाब तेरे रातों में जुगनू से , दमकते अहसास मेरे क़तरा क़तरा दे रहा सदाएं
Read Moreउनिंदी पलकों में , जागे से ख्वाब तेरे रातों में जुगनू से , दमकते अहसास मेरे क़तरा क़तरा दे रहा सदाएं
Read Moreतुम घर आ गयी? कैसी हो तुम? कुछ खाना खाया था या नहीं? थकी भी होगी न? यही सारे सवाल
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