लखनऊ के नाम एक ग़ज़ल
जाने हो कब मयस्सर दीदार लखनऊ का इकरार लखनऊ का, इसरार लखनऊ का एहसास उनको क्या हो शाम ए अवध की जन्नत
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Read Moreजीवन का प्रतिपल विशेष है, जब तक हिय में नेह -लेश है। बादल कितनी कमर कसें पर, लुप्त हुआ क्या
Read Moreकुहासे की चादर मौसम ने ओढ़ ली, ठिठुरन से मित्रता, भास्कर ने जोड़ ली। निर्धनता खोज रही, आग के अलाव,
Read Moreहे राम तुम्हें आना होगा, हे राम तुम्हें… जन्म हुआ था कहां आपका, आप स्वयम् बतलाना होगा। हे राम तुम्हें
Read Moreतुम हंस दिये अगर तो , चमन खिलखिला दिया ! बल खा के बढ़ चले तो , नया सिलसिला
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