“वचनों के कंगाल सुनो”
भाषण से बहलाने वालों, वचनों के कंगाल सुनो माल मुफ्त का खाने वालों, जंगल के शृंगाल सुनो बिना खाद-पानी के
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Read Moreलोग कहते हैं कि कलम हाथ से चलती मैं कहता, कलम हाथ से नहीं, दिम़ाग से चलती है सोच से
Read Moreसर्द ऋतु रहना अगर, भैया तुमको मस्त । भोजन बाद गुड़ खाइये, पाचन रहे दुरस्त ।। मुख्य स्रोत आयरन का,
Read Moreधुंध भरी रात है ,स्याह अंधकार है दूर दूर तक नही,जीव का निशां है हाथ हाथ को नही यहां पहचानता
Read Moreमानव है; हो सकती गलती, गलती से कोई गिर सकता है। जलकर पश्चाताप की अग्नि, तपकर सोना बन सकता है।
Read Moreतन पर कपड़े जेब में माया क्या इन्ही में खुबसुरती का जग समाया? देख फरेब खुद में मैं हूँ
Read Moreआग घर में लगाना नहीं है उस धुएँ को बढ़ाना नहीं है एक बारे लगे जो दिलों में बस मुहब्बत
Read Moreयार पुचकार तक नहीं पहुंचा ज़ाम दीदार तक नहीं पहुंचा डूबना चाह इश्क के सागर धार मझधार तक नहीं पहुंचा
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