सच्चाई लिखूँगी
गरीब की आह लिखूँगी, अमीर की चाह लिखूँगी, आम जनता के लिये राजनेता हैं बेपरवाह लिखूँगी। गरीब का दर्द लिखूँगी,
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Read Moreनारी सच में धैर्य है,लिये त्याग का सार ! प्रेम-नेह का दीप ले, हर लेती अँधियार !! पीड़ा,ग़म में भी
Read Moreकुछ औरतो के चोटी कटने की खबर सुन—— मेरी लुगाई भी सदमे मे है। वे सोये मे भी उठ जा
Read Moreमेरी कविता चीख है हकीकत की किसी का गुणगान नहीं अबोल पीड़ा है माटी की किसी पार्टी के दरवाजे की
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