ग़ज़ल
मुहब्बत में इतना जो तड़पाओगे तुमतो अपने किए की सज़ा पाओगे तुम कहीं भी रहूँ दिल में ठानूँगी जिस दिनमिरे
Read Moreप्रयाग राज में कुंभ लगी हैभग्तो की तो धूम मची हैअपना जीवन धन्य हो जाताचलो सखि मिल कुंभ नहाएं।गंगा यमुना
Read Moreमैं हवा हूँ खुद ही बीमार हो गईजब से हर तरफ ज़हर की भरमार हो गईसुधरता कोई नहीं कचरा फैला
Read Moreपुरानी बातें भूलने को कहते हो,अपने दिखाये झूले में झूलने को कहते हो,खुद भूल नहीं पा रहे हो,हमें सपने दिखा
Read Moreआ गया ऋतुराज बसंत।प्रकृति ने ली अंगड़ाई,खिल गया दिग दिगंत।। भाव नए जन्मे मन में,उल्लास भरा जीवन में।प्रकृति में नव
Read Moreगलियों में तेरी क़दम रखूंगा न कभी मैं भीअहद से अपने जो मुकर जाओ किसी दिन।ये तिशनगी बुझने का नाम
Read Moreजल की बूंदें जीवन धाराजल से जीव जगत है सारा।जल से है जग में खुशहालीजल से धरती में हरियाली।हृदय में
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