धरती
धरती सी विनम्रताऔर सहनशीलताऔर किसी मेंनहीं पाई जातीसहनशील मानवरहते जग मेंवे ही सच्चेज्ञानी कहलातेजो आँधी तूफानदुख घोर निराशाऔर में भीन
Read Moreवे उठीं जब घने अंधेरों से,ध्वंस की छाया से, मरुस्थल की लहरों से,हर कण में थी बिजली की चमक,हर सांस
Read Moreपहलगाम की धरती काँपी,जब मासूमों पर वार हुआ,पर्यटकों की हँसी बुझा दी,आतंकी हमला शर्मसार हुआ। भारत चुप ना बैठा था
Read Moreसिर्फ सिंदूर से क्या होगा,आग अभी सीने में बाकी है।खून में जो लावा बहता है,उसमें हल्दी की तासीर बाकी है।
Read Moreहाहाकार मचा हुआ हैआतंकी आकाओं की टोली मेंमुंह छुपाते फिर रहे अब सारेइतनी ताकत है भारत की गोली में ‘सिंदूर’
Read Moreअपने रस्ते पे आने का,अपने रस्ते पे जाने का,मन किया तो कभी कभीशान पट्टी भी दिखाने का,इस दुनिया में शरीफों
Read Moreथोड़ी बेचैन सी, घबरायी हुईन जाने क्या होगान जाने क्या पूछेंगेन जाने क्या कहेंगेहैरान-परेशान सीअपना भविष्य बुन रहीअतीत में झांक
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