कविता दिवस
उपालंभ आलोचना, मत करिए सरकार।कविता पढ़कर आप सब, देते रहिए प्यार।। मेरे शब्दों की छाँव तलेकभी बैठ जरा क्षण दो
Read Moreउपालंभ आलोचना, मत करिए सरकार।कविता पढ़कर आप सब, देते रहिए प्यार।। मेरे शब्दों की छाँव तलेकभी बैठ जरा क्षण दो
Read Moreछूट गया किनारा,फिर भी तलाश जारी हैवह फिर मिले या ना मिले,हम तो ढूंढते रहेंगे उसकोक्योंकि तलाश जारी है…। बहुत
Read Moreचैत्र कृष्ण सप्तमी तिथि विविध पकवान बनाएं,मां शीतला को अष्टमी को फिर बासी भोग धराएं,ठंडा भोजन अमृत प्रसाद रूप में
Read Moreबदला ज़माना रिश्तों में आ गई खटासआज रिश्तों का बना रहे सब उपहासदिखावा ज़्यादा हो गया रिश्तों की नहीं रही
Read Moreलोग रहते हैं महा नगरों मेंकैसे सिमटे सिमटे ,गांव में आंगन मुहब्बत काहम छोड़ आये हैं ,इमारतें कितनी हैं यहाँ
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