कविता

कविता

सफलता का छिड़े तराना

विघ्नों का पर्वत भी उखड़े,संघर्षों का ग्लेशियर पिघले,हाथ-से-हाथ मिलकर चलना,सागर जीत के मोती उगले।किसी से प्रतिस्पर्धा क्यों करना,किसी को पीछे

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