पहलगाम के आँसू
वो बर्फ से ढकी चट्टानों की गोद में,जहाँ हवा भी गुनगुनाती थी,जहाँ नदियाँ लोरी सुनाती थीं,आज बारूद की गंध बसी
Read Moreवो बर्फ से ढकी चट्टानों की गोद में,जहाँ हवा भी गुनगुनाती थी,जहाँ नदियाँ लोरी सुनाती थीं,आज बारूद की गंध बसी
Read Moreजब बर्फ़ीली घाटी में ख़ून बहा,तब दिल्ली में सिर्फ़ ट्वीट हुआ।गोलियाँ चलीं थी सरहद पार से,पर बहस चली—”गलती किसकी है
Read Moreआज़ अकेले बैठे हुए,सोचता रहा ,क्या इस शरीर और मन की में तमाम हसरतें,पूरी हो गई है,क्या ख्वाब जो देखे
Read Moreशब्दों से पहले चुप्पियाँ थीं,सिलवटों में सिसकती बेटियाँ थीं।किताबों में दर्ज़ थीं उम्मीदें,मगर दीवारों में बंद इज़्ज़त की तिज़ोरियाँ थीं।
Read Moreवसुंधरा कर रही आर्द्र करूण पुकार,हे मानव ! मत करो इतना अत्याचार,मातृभूमि, कर्मभूमि, तुम्हारी मॉं हूँ मैं,अनुचित है तुम्हारा ये
Read Moreआज रात मेरे मन में विचार आयाक्यों न यमराज को बुलाया जाये,एक प्रस्ताव सुझाया जाये।उसके समझ में आ जायेइस तरह
Read Moreयह जो चेहरे पर रेखाएँ हैंकलाकृति और चित्रकारी हैस्वतः ही तराशी गईं शिल्पकार कीसमाहित हैं शिल्प कई सदी के। एक-एक
Read Moreबोल उठे बाबा बागेश्वर,“मृत्यु है मृगमरीचिका भर।शरीर छूटे, आत्मा हँसे,मोक्ष वही जो भय से न डरे।” धूप थी, भीड़ थी,
Read Moreहर आदमी त्रस्त बोलती उसकी बंद है आवाज उसकी दबा दी जाती खोलता जब भी वह जुबान है बाहर भले
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