उलाहना
वो थे तो क्या बदला था,ये हैं तो क्या बदला है, तब भी नारी शोषित थी, अब भी उनका दिल
Read Moreमाँ एक शब्द नही है संसार बसता है उसमें, अपने खून से सींचकर हमे जीवन देती है, कितनी भी मुश्किलें
Read Moreजिस दिन भ्रष्ट,नीच दुष्कर्मी,फाँसी पर लटकाये जाएंगे । ठीक उसी दिन भारत में फिर से अच्छे दिन आएंगे । आरक्षण
Read Moreविधान : 16/14=30,अंत 112/22 प्रथम, द्वितीय, व चतुर्थ चरण तुकांत,तृतीय चरण स्वतंत्र आज सभी जन हुए लालची,छल कुदरत से
Read Moreगागर छलके री सखी, पनघट पानी प्यास आतुर पाँव धरूँ कहाँ, लगी सजन से आस लगी सजन से आस, पास
Read Moreजाने कहाँ छिप जाती है उदासी, ख़ामोशी, और तन्हाई जब माँ साथ होती है !!! … सारी मुस्कराहटों को पता
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