बाल कविता
बच्चे कितने नटखट है शोर शराबी करते है इधर उधर वे खूब भटकते नहीं किसी से डरते है अपनी बाल
Read Moreकुहू कुहू कोयल की सुनकर कौआ रह गया जल भुनकर। एकदिन उसने जाल बिछाया जाकर कोयल को उकसाया। उससे करने
Read Moreबाल कविता “आम और लीची” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—आम फलों का राजा होतालीची होती रानीगुठली ऊपर गूदा होताछिलका है बेमानी—जब बागों
Read Moreरहते सँग – सँग जीव हमारे। घर में निशि – दिन लगते प्यारे।। मच्छर मक्खी नित के साथी। रहते नहीं
Read Moreखुशियों वाले नव रंगों से ,बाग़ सजाने आई तितली। उपवन के नव फूलों पे ,प्रीत लुटाने आई तितली। देख बहारें
Read Moreबालकविता “खेतों में शहतूत उगाओ”(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—कितना सुन्दर और सजीला।खट्टा-मीठा और रसीला।।—हरे-सफेद, बैंगनी-काले।छोटे-लम्बे और निराले।।—शीतलता को देने वाले।हैं शहतूत
Read Moreसबसे प्यारी दोस्त किताबें। देती ज्ञान को धार किताबें। हर बच्चे के लिए जरूरी, दुनिया पूरी भरी किताबें।। पढ़ किताबें
Read Moreचंदा मामा रूप तुम्हारा मुझे लुभाया करता है | घटना- बढना निश दिन तेरा मुझ में अचरज भरता है |
Read Moreबालकविता “खीरे को भी करना याद” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)—तन-मन की जो हरता पीरावो ही कहलाता है खीरा—चाहे इसका रस पी
Read Moreनर्मदा नदी के किनारे तीस हजार वर्ग हेक्टेयर में फैले हुए शान्ति वन में राजा शेखर शेर और उसके तमाम
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