जैसे अरि धार तलवार पे धरे रोज-
बार बार नैन से कटार मार मार के तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं! तान तान अपनी कमान
Read Moreबार बार नैन से कटार मार मार के तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं! तान तान अपनी कमान
Read Moreबोलो झूठ कभी नहीं ,ऐसा मत दो ज्ञान झूठ बोलते जो सदा ,वो पाते सम्मान वो पाते सम्मान ,झूठ को सदा भुनातेसच
Read Moreनहीं दुराव,हो उठाव,आज तो पले विवेक। सही बहाव,हो उड़ान,रीति,नीति प्यार नेक।। सुशील हो,न कील हो,बढ़ोतरी करो विनीत। जहान धर्म-कर्म मान,मीत
Read More(1) नारी से शोभा बढ़ती है,नारी फर्ज़ निभाती है। नारी कर्म सदा करती है,नारी द्वार सजाती है।। सबको कब यह
Read Moreअपना कोई है नहीं, मतलब का संसार। स्वार्थ जहाँ पर पूर्ण हो, वो ही रिस्तेदार। वो ही रिस्तेदार, खास हैं
Read Moreभागा सुख को थामने,दिया न सुख ने साथ। कुछ भी तो पाया नहीं ,रिक्त रहा बस हाथ।। रिक्त रहा बस
Read More-1- माँ की ममता- मापनी,बनी नहीं भू मंच। संतति का शुभ चाहती,नहीं स्वार्थ हिय रंच नहीं स्वार्थ हिय रंच,सुलाती शिशु
Read More-1- पढ़ना-लिखना छोड़कर, चमचा बनना ठीक नेता का अनुगमन कर,पकड़ एक ही लीक। पकड़ एक ही लीक,सियासत में घुस जाना।
Read Moreशिल्प विधान – जगण जगण , 121 121 चरण तुकांत, 6 वर्ण प्रति चरण 1. बढ़े हम वीर । बने
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