शीर्षक :- कुंडलिया छंद
रचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक। स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।। भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
Read Moreरचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक। स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।। भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
Read More(1) जीना इक अरमान है,जीना इक पहचान जीने का सम्मान हो,जीने का यशगान जीने का यशगान,प्यार का प्याला पीना मानवता
Read Moreहरियाली छाय रही धरा इठलाय रही देखो आम्र कुंजन में कोयलिया गावत है बासन्ती बयार चले झूम -झूम मन हरे थिरकत बागन में सुख
Read Moreमाया ठगनी रूप को , मनुज जरा पहचान । हर लेती मति ये सदा, बात हमारी मान ।। बात हमारी
Read Moreटीके पर भी टुच्चई, करता टोंटीचोर टीपू तू इंजीनियर,या टट्टू, लतखोर या टट्टू ,लतखोर, करे अब टोका टोंकी इक तो
Read Moreअंतस में नैराश्य का, जब जब पले विकार निंदा रस की गोलियाँ, सहज सरल उपचार सहज सरल उपचार, जगाती उर्जा
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