तीन छंद
1 पेट में संभालती लहू से है पालती ,इसकी आशीष से यह धरा मुस्काती है । सृजन की बेल यह
Read Moreओढ़ ली चूनर धानी वसुधा ने आज फिर धरती न धीर मन मौन इतराती है। अंबर नत होकर चूमता कपोल
Read Moreरसाल सी रसीली आम्र कानन बीच वह, वर्षा वारि धार साथ खेलती-नहाती है। प्रकृति सुंदरी समेट सुंदरता सकल, समाई है
Read Moreरोज़ – रोज़ करो योग , भागें दूर सभी रोग , तन मन रहे खुश , ताज़गी ले आइये ।
Read More(सरसी छंद) नयी पीढ़ी न चाहे नखशिख, न विरह या श्रंगार इसे चाहिए उत्साह से छने, वीर रस के उद्गार
Read Moreहनुमान -स्तुति (छंद घनाक्षरी) रात – दिन साधना में,राम की आराधना में, शत्रु को विनाश और, काल हु पे भारी
Read Moreअपने मन की गति बांध अरे यह मांग रहा अब जीवन तेरा| मन में धर धीर करो सब काम मिटे
Read Moreमोहर सिंह डाकू गयो, धरा छोड़ि यमलोक मचा लुटेरों के जगत, में दुखदाई शोक में दुखदाई शोक, अरे कुछ दिन
Read Moreदेना है तो दीजिये , थोडा सा सम्मान ,बदले में ले लीजिये खुशियों भरा जहान,खुशियों भरा जहान, लगेगा जीवन प्यारा,होंगे
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