कुण्डलिया : यौवन के दिन चार
-1- बचपन के दो नयन में,ले भविष्य आकार। वर्तमान देखें युवा, जरा अतीताभार।। जरा अतीताभार, देखता बीते कल को। चखता
Read More-1- बचपन के दो नयन में,ले भविष्य आकार। वर्तमान देखें युवा, जरा अतीताभार।। जरा अतीताभार, देखता बीते कल को। चखता
Read Moreसच नैया खेते रहे ,झूठ नदी पर यार,सच चप्पू करता रहा ,झूठ लहर से प्यार ,झूठ लहर से प्यार ,पवन
Read More-1- गौ माँ!गौ माँ!!कर रहे, सुलभ न चारा घास। मारी-मारी फिर रहीं,गौ माँ आज निराश।। गौ माँ आज निराश, सड़क
Read Moreहे गजानन दीन बन्धू , नेह वर्षा कीजिए, पाप से कर मुक्त मुझको, पुण्य से भर दीजिए, मोह के बंधन
Read More🌻कुण्डलीया छंद🌻 🌻१🌻 सुन्दर ऐसा चाहिए ;जो मन मंजुल होय सुंदर सदैव, मन भला ;तन छवि देता खोय तन
Read Moreसत्य ही गवा है रोज सत्य ही जवां है रोज। मोज देर कितनी असत्य कर पायेगा। विजय श्री वरण सदा
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