छंद- हरिगीतिका
छाया हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा संचालिका सूरज दिखे चाहत
Read Moreछाया हुआ अपनों में मिला ,भक्ति विभोर उत्सव छठी भुला दिखा हर मनवा खोज, ढूढे दिखा संचालिका सूरज दिखे चाहत
Read More-1- बचपन के दो नयन में,ले भविष्य आकार। वर्तमान देखें युवा, जरा अतीताभार।। जरा अतीताभार, देखता बीते कल को। चखता
Read Moreसच नैया खेते रहे ,झूठ नदी पर यार,सच चप्पू करता रहा ,झूठ लहर से प्यार ,झूठ लहर से प्यार ,पवन
Read More-1- गौ माँ!गौ माँ!!कर रहे, सुलभ न चारा घास। मारी-मारी फिर रहीं,गौ माँ आज निराश।। गौ माँ आज निराश, सड़क
Read Moreहे गजानन दीन बन्धू , नेह वर्षा कीजिए, पाप से कर मुक्त मुझको, पुण्य से भर दीजिए, मोह के बंधन
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