कुंडली – हिंदी भाषा
निज भाषा को छोड़कर, दूजी रहे अपनाय। दूजी भाषा के तहत, पिता डैड कहलाय। पिता डैड कहलाय, मात कहलाये मम्मी।
Read Moreनिज भाषा को छोड़कर, दूजी रहे अपनाय। दूजी भाषा के तहत, पिता डैड कहलाय। पिता डैड कहलाय, मात कहलाये मम्मी।
Read Moreधन सबसे अनमोल है, गुरुजन का आशीषगुरुजन सम हैं मात पित, गुरुजन हैं सम ईशगुरुजन हैं सम ईश, ज्ञान का
Read More(1) करना मत तुम भेद अब,बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता,वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक,करे दुर्गुण को
Read Moreजीवन का संगीत, बाँसुरी धुन हो प्यारी। आँगन चहके प्रीत, महकती हो नित क्यारी।। उजली उजली धूप, पवन गीत गुनगुनाती।
Read More(1) मन को तन को,नव जीवन दे,बरसात बहार सुहावन है। जब नीर हमें सबको सुख दे,तब गीत जगे मनभावन है।
Read Moreतलवार से भी तेज, जीभ कटार की धार, अस्त्र जैसी चुभन से, दिल न दुखाइये।। वाणी रसाल, मधुर, वीणा-सी स्वर
Read More(1) करना मत तुम भेद अब,बेटा-बेटी एक। बेटी प्रति यदि हेयता,वह बंदा नहिं नेक।। वह बंदा नहिं नेक,करे दुर्गुण को
Read Moreअंधियारी ज़िंदगी में नूर बनकर आ गयी, हर ग़ज़ल के शेर में मशहूर बनकर छा गयी। बिन तुम्हारे ज़िंदगी में
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