चुनावी व्यंग्य
एक टिकट मुझे भी दिलवा दो आदर्शों से कोई लेना देना नहीं किसी भी दल से दिलवा दो जो दल
Read Moreएक टिकट मुझे भी दिलवा दो आदर्शों से कोई लेना देना नहीं किसी भी दल से दिलवा दो जो दल
Read Moreशापित सदियों मौन बही, ये सरयू की लहरेंआज हंस हंस बोलेंऐ सखी क्या होवे चहूं ओरसजे ये घाट किनारेफूल बिछे
Read Moreसर्द मौसम में खबर भी हुआ सर्द,तकलीफ में संतान और पिता को पहुंचा दर्द,हूं जुड़ा इस कदर अलग कर नहीं
Read Moreमैं यूं ही कविताएं रचती जाऊंगी,“आनंद” भाव हर मन में जगाऊंगी,सरल,सहज शब्दों की माला बना कर,प्रेम भाव जन-जन तक पहुंचाऊंगी
Read Moreमन में नित नई आस लिएअरमान भी कुछ खास लिएफिरती रहती अब दिन रैनपढ़ तो लो क्या कहते नैन। शिशिर
Read Moreसत्य सनातन का महान पर्व महाकुंभ आया है,मन-मस्तिष्क में साधना का अलख जगाया है पर्व,नदियों की लहरें भी गहराई में
Read Moreउसे तीव्र लालसा हो रही थीकि एक बार पाप जरूर धुल जाए,किस्मत के दरवाजे और खुल जाए,लार टपकती है देख
Read Moreयह एक कुबेर का खजाना है,उमंग और उत्साह से भरपूर होने वाले लोगों को समझाने और समझने की काबिलियत रखते
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