सब्र करते करते
सब्र करते करते कितने ही बरस बीत गए।आज़ाद हैं हम ! गाए कितने ही गीत गए। लहू देख अपनों का…
Read Moreसब्र करते करते कितने ही बरस बीत गए।आज़ाद हैं हम ! गाए कितने ही गीत गए। लहू देख अपनों का…
Read Moreहम हो गए हैं नाटक के किरदार की तरहपढ़ते हैं लोग हमको भी अखबार की तरह बजती नहीं है तालियां
Read Moreतुम्हारी याद जब आती तो मिल जाती ख़ुशी हमकोतुमको पास पायेंगे तो मेरा हाल क्या होगा तुमसे दूर रह करके
Read Moreरात की चादर तले, स्क्रीन पर उठता है शोर,लाहौर की दीवारें काँपती हैं, ऐसा चलता है ज़ोर।धमाकों की छवियाँ, सीजीआई
Read Moreईमान को बेचकर कभीईमानदार नहीं बना जाता।दर्द देकर कभी किसी काहमदर्द नहीं बना जाता।इंसान को तोड़कर कभीइंसानियत का दावेदारनही बना
Read Moreकभी किसी शाम की थकी हुई साँसों में,तुम्हारा एक हल्का सा “कैसे हो?” उतरता है —जैसे रेगिस्तान में कोई बूँद
Read Moreहै बहुत कुछ पास मेरे, पर मेरा कुछ भी नही,मेरा मेरा सब करें, पर साथ जाता कुछ भी नहीं।मृगतृष्णा में
Read Moreअब तो बूंद-बूंद के लिए भी तरस जाओगे,क्यों? नाहक बहाया लहू तुम पछताओगे।पहले से ही नाकारा हो रही थी ये
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