प्रकृति
हे प्रकृति!कैसे वर्णन करुं तुम्हारेविविध रुपों का,आलबंन कभी उद्दीपनआतुर कभी नव सृजन,कोमलता ममत्व कीबनती सुखदायी,विराट रुप विकरालबन जाता दुःखदायी,जीवन प्रदायिनी,जीवन
Read Moreतुम्हें देखकर ,अक्सर मैं भूल जाता हूँ ।मेरी उम्र क्या है ?मैं यह सोच पाता नहीं ,प्रेम बंधन नहीं स्वच्छंद
Read Moreकिश्ती को जो डूबने से बचा सके ऐसी पतवार चाहिएजड़ें काट दे बुराई की अच्छाई में ऐसी धार चाहिएनफरत की
Read Moreनारी जन्नत की परिभाषा।नारी पीढी की अभिलाषा।नारी मन्दिर में जैसे ज्योति।नारी समता से भरी गोदी।नारी शीतल नीर समन्दर।नारी सचखण्ड में
Read Moreसजा है जगमग सारा कैलाश,छाया चहुं दिश दिव्य प्रकाश,आई परिणय की शुभ घड़ी,हो झूमे गाएं धरती-आकाश । पहन गल सर्पो
Read Moreमर जाने के डर सेनहीं मरना चाहते हो,तो आज ही मर जाओ,बड़ी जिंदगी चाहते होतो अभी सुधर जाओ,सुधर कर भी
Read Moreजिसके चलने से जीवित हूं मैं,वो सांस हो तुम।जिसके नाम से ही चेहरे पर खुशी छा जायेवों एहसास हो तुम।धमनियों
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