कविता

कविता

प्रकृति

हे प्रकृति!कैसे वर्णन करुं तुम्हारेविविध रुपों का,आलबंन कभी उद्दीपनआतुर कभी नव सृजन,कोमलता ममत्व कीबनती सुखदायी,विराट रुप विकरालबन जाता दुःखदायी,जीवन प्रदायिनी,जीवन

Read More
कविता

कविता (महिला दिवस) – नारी जन्नत की परिभषा

नारी जन्नत की परिभाषा।नारी पीढी की अभिलाषा।नारी मन्दिर में जैसे ज्योति।नारी समता से भरी गोदी।नारी शीतल नीर समन्दर।नारी सचखण्ड में

Read More