बसंत आ गई
ठंड गई, बसंत आ गई,पीले सरसों, बहार छा गई! देवर कहता, भौजाई से,भाभी आओ, फागुन आया!कैसे आऊं, भाभी कहती,रंग बसंती,
Read Moreखुद पर कर ले तू विश्वास,क्यों करना औरों से आस!अपना हाथ है जगन्नाथ,आशा से बढ़ती है प्यास। खोद ले अपना
Read Moreमैं सागर की नाव पुरानी,है मेरी अनबूझ कहानी,तूफानों से टकरा न पाती,संभालो मुझे हे राम-वरदानी। केवट बनकर आना प्रभु,नैय्या पार
Read Moreस्वागत है नव-वर्ष तुम्हारामंगल-बेला है अति प्यारा। नव-किरण है नव प्रभातनव-दिवस की है शुरुवात। रवि की दमकी है कांतियाँफैल रही
Read Moreबरखा की बूँदें यूँ लगे जिमी मन के भाव रसीले ,हीरों की लड़ियों से मानो यह बह निकले,बूँदें तन को
Read Moreमीठी सी गुदगुदी देने वाली,ऋतुराज बसंत ऋतु,मन को तसल्ली देती हुई घर आ रही है।मन को तसल्ली देती हुई,खुशियां भरपूर
Read Moreजब विलुप्त प्राणी प्रकट होउनसे मुलाकाते झटपट होकुसुम सा वाणी झरने लगेप्रचंड ग्रीष्म नीर बहने लगेदर्द को मिले तुरंत मरहमचोटिल
Read Moreसुबह-सुबह कैलेंडर पर नजर गई दिख गया वसंत! खिड़की खोलने की कोशिश की नहीं खुली, जाम के कारण। जाम की
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