कविता

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भाई संविधान बचाओ

उन्होंने अनुमति विहीन सभा बुलाया,जोरदार मजहबी नारा लगाया,नारे के द्वारा और मजहबियों को हड़काया,और कुटिलतापूर्ण गर्व से बताया,अब इस जगह

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कविता

पतली गली में

शहर कीपतली गली,बड़ी उदासडरावनी,लोग शब्दहीन बेचैनभ्रम पालेमकान कीखिड़की सेमुँह निकाले झाँकते इधर -उधर! पतली गली मेंएक दुकानदुकान पर बैठापतला इंसानसंभाल

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