ब्लॉग/परिचर्चा
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 6
आज प्रस्तुत है “जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स-” की छठी कड़ी. हर कड़ी में हम आपके लिए जितेंद्र भाई के बारे में कुछ-न-कुछ नई जानकारी प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं. इसलिए जितेंद्र भाई से साक्षात्कार करके कुछ जानना होता है. किसी से साक्षात्कार लेना जितना चुनौती पूर्ण है, अपने बारे में कुछ बताना उससे भी […]
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 5
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- शृंखला की पांचवीं कड़ी आ पहुंची है. हमारे पाठकगण तो इसे बहुत पसंद कर रहे हैं, इसलिए यह शृंखला आगे बढ़ती जा रही है. इस शृंखला पर हमने इस शृंखला के मुख्य नायक जितेंद्र भाई से उनका विचार जानना चाहा. ब्लॉग ठीक जा रहा है? कोई कमी तो नहीं है? अगले […]
पत्थर का खून
‘काश, हम में भी कोई रक्त संचार करता’ बाप-दादाओं की विरासत की निशानी एक हवेली के टूटते पत्थरों में से एक पत्थर ने बहुत ही मर्मस्पर्शी शब्दों में साथी पत्थरों से कहा। ‘हां भाई, हमें चोट पहुंचाने वाले मनुष्य को जब स्वयं चोट लगती है तो उसके शरीर से रक्त का प्रवाह होने लगता है, […]
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 4
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स की यह चौथी कड़ी है. हमने जितेंद्र भाई से उनके लेखन की पृष्ठभूमि के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया- “मुझे भक्ति काल में संत कबीर जी के दोहे और रीतिकाल में बिहारी जी के दोहे बहुत पसंद रहे हैं. कम शब्दों में बहुत कुछ कह देना इन दोनों की […]
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 1
आज हम आपको एक नई शख्सियत से मिलवा रहे हैं, जिनका नाम है- जितेन्द्र कुमार. जितेन्द्र कुमार से जितेन्द्र ‘कबीर’ बनने तक के सफर की बात बाद में, पहले आप रसास्वादन कीजिए जितेंद्र ‘कबीर’ के मुक्तक-पोस्टर्स का. जितेंद्र भाई से हमारी मुलाकात एक साहित्यिक मंच ‘हिंदी साहित्य दर्पण’ में हुई. इनके चित्रमय मुक्तक […]
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 2
कहते हैं पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं. जितेंद्र भाई बचपन से ही कबीर के लेखन से प्रभावित रहे हैं, सम्भवतः ही इसलिए उनके लेखन में भी कुछ-कुछ वही गुण आ गए हैं. फर्क यह है, कि कबीर ने दोहे लिखे हैं और जितेंद्र भाई ने मुक्तक. पोस्टर से मुक्तक को अतिरिक्त […]
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स- 3
जितेंद्र कबीर के मुक्तक-पोस्टर्स की यह तीसरी कड़ी है. अब तक तो आप जितेंद्र भाई को भी भलीभांति जान चुके होंगे और उनके मुक्तक-पोस्टर्स को भी. वैसे भलीभांति जान चुकना इतना आसान भी नहीं है. जिस प्रकार रास्ते में कितने मोड़ होते हैं पता नहीं चलता, उसी प्रकार जीवन में कितने मोड़ होते हैं कौन […]
जन्मदिन के अमृतोत्सव की बधाई, कुलवंत : गुरमैल
प्रिय कुलवंत, ”मेहरबां लिखूं हसीना लिखूं या दिलरुबा लिखूं हैरान हूँ कि आपको इस खत में क्या लिखूं!” अब यह लिखना कि तुम मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर नाराज़ न होना, इस उम्र में हंसी की बात नहीं होगी तो और क्या होगी! क्योंकि वह ज़माना बहुत पीछे छूट गया और ये बातें तो अब हमारे […]
उल्लू
अक्सर हम जब मोबाइल खोलते हैं, तो उसमें स्क्रीन पर अच्छी-अच्छी बातें लिखी होती हैं, पर हम (मैं अपनी बात कर रही हूं) इतनी जल्दी में होते हैं, मानो तूफान मेल छूट रही हो और आगे बढ़ जाते हैं. एक बार ऐसे ही हमारी नजर पड़ गई. उस दिन अभियन्ता दिवस (इंजीनियर्स डे) था. 15 […]