धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

देश और समाज को अपना सर्वस्व समर्पित करने वाले आदर्श महापुरुष ऋषिभक्त स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म् महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश में जिस प्राचीन वैदिक कालीन गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का विवरण प्रस्तुत किया था उसे साकार

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वाध्याय करने से ज्ञान प्राप्ति सहित आत्मिक व सामाजिक उन्नति

ओ३म् मनुष्य की आत्मा अनादि, नित्य, अविनाशी एवं अमर है। एकदेशी होने से यह अल्पज्ञ है। हमें नहीं पता कि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

वेदों की अनमोल देन सब सुखों का आधार अग्निहोत्र यज्ञ

ओ३म् वैदिक मान्यता के अनुसार मनुष्य जीवन चार आश्रमों में विभाजित है। ये आश्रम हैं ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि में क्रमबद्धता प्रभुसत्ता-सम्पन्न विश्वात्मा के बिना सम्भव नहीं

स्वामी विद्यानन्द सरस्वती आर्यसमाज के उच्च कोटि के विद्वान थे। आपका जीवन अनुकरणीय था। आपने अपनी आत्मकथा ‘‘खट्टी मीठी यादें”

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मविज्ञान

सृष्टि की उत्पत्ति का कारण और कर्म-फल सिद्धान्त

ओ३म् हम इस विश्व के अनेकानेक प्राणियों में से एक प्राणी हैं। यह विश्व जिसमें असंख्य सूर्य, पृथिवी व चन्द्र

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

स्वास्तिक के चिह्न की महिमा

स्वस्तिक चिन्ह भारतीय संस्कृति में हिन्दू धर्म का मंगल प्रतीक है।   इसे सातिया भी बोला जाता है। यह हमारे महान ऋषि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ऋषि दयानन्द ने सभी मिथ्या आध्यात्मिक मान्यताओं एवं सभी सामाजिक बुराईयों का निवारण किया

ओ३म् ऋषि दयानन्द सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी थे। आध्यात्मिक दृष्टि से उन्हें देखें तो वह आध्यात्म व योग के ऋषि

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर हमें मृत्यु से हटाकर अमृत वा मोक्ष की ओर ले चले

ओ३म् संसार भौतिक प्रगति करते हुए प्रतिदिन नई-नई खोजें कर रहा है और मनुष्य जीवन को सुखी व सुविधाओं से

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

महिषासुर शहादत दिवस- एक और पाखंड की शुरुआत

बक्सर से समाचार मिला है। 28 अक्टूबर को कुछ भ्रमित लोगों ने महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन प्रशासन की अनुमति

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