धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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पापों से बचाव व मुक्ति के लिए अघमर्षण मन्त्रों का पाठ और तदनुसार आचरण आवश्यक

मनुष्य जीवन का उद्देश्य पूर्व जन्मों के कर्मों का भोग एवं शुभकर्मों को करके धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

प्रभातवेला में ईश्वर से किस प्रकार व क्या प्रार्थना करें?

वैदिक जीवन का एक नित्य कर्तव्य वेद ईश्वरीय ज्ञान है। सृष्टि के आरम्भ में संसार के सभी मनुष्य वेदों के

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आर्यसमाज का सार्वभौमिक कल्याणकारी लक्ष्य एवं उसकी पूर्ति में बाधायें

आर्य समाज का उद्देश्य संसार में ईश्वर प्रदत्त वेदों के ज्ञान का प्रचार व प्रसार है। यह इस कारण कि

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महर्षि दयानन्द, आर्य समाज और गुरूकुलीय शिक्षा

महर्षि दयानन्द ने मुख्यतः वेद प्रचार के लिए ही आर्यसमाज की स्थापना की थी। यह बातें गौण हैं कि यह

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जीव कर्म करने में स्वतन्त्र और फल भोगने में ईश्वराधीन है।

यदि वेद न होते तो संसार के मनुष्यों को यह कदापि ज्ञान न होता कि मनुष्य कौन व क्या है?

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मब्लॉग/परिचर्चा

महात्मा बुद्ध ईश्वर में विश्वास रखने वाले आस्तिक थे

महात्मा बुद्ध को उनके अनुयायी ईश्वर में विश्वास न रखने वाला नास्तिक मानते हैं। इस सम्बन्ध में आर्यजगत के एक

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शांति, भाईचारे और प्रेम का संदेश देती है बुद्धपूर्णिमा

निराशाजनक वातावरण के युग में पूरे समाज में शांति, भाईचारे, प्रेम व एकता का संदेश देने वाले भगवान बुद्ध को

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अन्य लेखधर्म-संस्कृति-अध्यात्मसामाजिक

सच्चे आध्यात्मिक श्रम से अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति

मई दिवस पर ईश्वर ने मनुष्य को ऐसा प्राणी बनाया है जिसमें शक्ति वा ऊर्जा की प्राप्ति के लिए इसे

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महर्षि दयानन्द ने खण्डन-मण्डन, समाज सुधार व वेद प्रचार क्यों किया?

महर्षि दयानन्द ने सन् 1863 में दण्डी स्वामी प्रज्ञाचक्षु गुरू विरजानन्द से अध्ययन पूरा कर कार्य क्षेत्र में पदार्पण किया

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