धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

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गुरुकुल न होते वेद और शास्त्रों की रक्षा सहित धर्म रक्षा होनी सम्भव नहीं थी

ओ३म् मनुष्य के जीवन में शरीर और आत्मा दोनों का महत्व होता है। यदि शरीर न रहे तो आत्मा का

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ईश्वर की उपासना दुःखों के निवारण एवं सद्गुणों की प्राप्ति के लिए करते हैं

ओ३म् अधिकांश मनुष्य प्रायः ईश्वर की भक्ति व उपासना करते हैं। संसार में अनेक प्रकार की उपासना पद्धतियां प्रचलित हैं।

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आर्यसमाज की स्थापना की पृष्ठभूमि एवं गुरुकुल स्थापना सहित इसके कुछ प्रमुख कार्य

ओ३म् सृष्टि के आरम्भ से महाभारत युद्ध पर्यन्त ईश्वर प्रदत्त ज्ञान वेद के अनुयायी राजाओं का समूचे विश्व पर चक्रवर्ती

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वेद, वैदिक धर्म एवं संस्कृति की रक्षा में गुरुकुलों का महत्वपूर्ण योगदान

ओ३म् ऋषि दयानन्द ने विश्व प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘सत्यार्थप्रकाश’ में प्राचीन भारत में गुरुकुलीय शिक्षा पद्धति का उल्लेख कर उसके व्यापक

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अग्निहोत्र हवन-यज्ञ से वायु-वर्षा जल शुद्धि सहित स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक लाभ

ओ३म् मनुष्य के सुख का मुख्य आधार शुद्ध वायु एवं जल के सेवन सहित भूख से कुछ कम सीमित मात्रा

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ईश्वर, वेद और ऋषि दयानन्द के सच्चे अनुयायी स्वामी श्रद्धानन्द

ओ३म् आर्यसमाज के इतिहास में ऋषि दयानन्द के बाद स्वामी श्रद्धानन्द जी का प्रमुख स्थान है। स्वामी श्रद्धानन्द जी ने

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ऋषिभक्त महात्मा वेदभिक्षु जी का प्रशंसनीय जीवन व वेदप्रचार कार्य

ओ३म् महात्मा वेदभिक्षु जी ऋषि दयानन्द के प्रमुख अनुयायियों में से एक थे। आपने वेद प्रचार के क्षेत्र में प्रशंसनीय

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