सत्यार्थप्रकाश से वेदों के महत्व तथा मत-मतान्तरों की अविद्या का ज्ञान होता है
ओ३म् मनुष्य को यह ज्ञान नहीं होता है कि उसके लिये क्या आवश्यक एवं उचित है जिसे करके वह अपने
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Read Moreप्राचीन भारत मे महिलाओ के स्थान समाज मे काफ़ी महत्वपूर्ण था |महिलाएं भी पुरुषो के साथ यज्ञ मे भाग लेती
Read Moreसाहित्य से सुसंचालित है समाज ! जिस जाति की सामाजिक अवस्था जैसी होती है, उसका साहित्य भी वैसा ही होता
Read Moreहम अपने बच्चों को डॉक्टर -इंजीनियर बनाते हैं, इंसान नहीं ! तो फिर दूसरे के बच्चों की इंसान बनने की
Read Moreओ३म् संसार में जानने योग्य यदि सबसे अधिक मूल्यवान कोई सत्ता व पदार्थ हैं तो वह ईश्वर व जीवात्मा हैं।
Read Moreश्रद्धेय कवि डॉ. हरिवंशराय बच्चन की पुण्यतिथि पर सादर श्रद्धांजलि…. मधुशाला, मधुकलश, निशा-निमंत्रण (कविता-संकलन), क्या भूलूँ क्या याद करूँ (आत्मकथा)
Read Moreप्लास्टिक का शाब्दिक अर्थ और अभिप्राय ऐसी वस्तु है जो ऐच्छिक आकार में ढाली जा सके।इसका पहला रूप सैलुलायड था
Read Moreजी हां कुछ बातें हमेशा कैद में पड़ी रहती है। वे जन्म लेती है हृदय में भावों की गहराई से
Read Moreओ३म् मनुष्य का जो ज्ञान होता है वह सत्य व असत्य दो कोटि का होता है। मनुष्य के कर्म भी
Read Moreनरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय श्री रामलखन सिंह यादव सैकड़ों विद्यालय और महाविद्यालय खोलने के लिए एकीकृत
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