व्यंग्य – अर्थ से अर्थी तक
पृथ्वी लोक में मानव के चार पुरुषार्थों के अंतर्गत धर्म के बाद ‘अर्थ का’ दूसरा स्थान है। धर्म किसी के
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Read Moreटोपीलाल का असली नाम तो कुछ और था, परन्तु वे अपने सिर पर हमेशा नेतागीरी की प्रतीक लाल रंग की
Read Moreसर्व प्रथम तो नेता की शैक्षणिक लायकात कितनी भी कम हो चलेगा।दूसरे कुर्सी के लिए अप्रतिम प्रेम होना भी अत्यंत
Read Moreकई राज्यों में चुनाव का माहौल जोर पर चल रहा हैं,हर पार्टी की चुनावी घोषणा पत्र जारी हो रहा हैं।
Read Moreआज हम सभी ‘खूँटा- युग’ में साँस ले रहे हैं। प्रत्येक किसी न किसी खूँटे से बँधा हुआ है।जैसे रसायन
Read Moreचांद पर प्लाट का लफड़ा “सर, मुझे एक कम्प्लेंट करना है।” “हां,तो कर दो”,उन्होंने बगैर सिर उठाए ही कहा। “सर,
Read Moreशहर से बाहर, पक्की सड़क के किनारे पीपल पेड़ के सामने, एक अधपक्का ब्लीडिंग के बाहर एक बड़ी सी होल्डिंग
Read Moreसज गई हैं दुकानें ,बाजार गर्म है।बिकेगी उसी की सौदा, जिसका जैसा भी कर्म है।तो देवियो!सज्जनो!बहनो! औऱ भाइयो ! ;
Read Moreकोई पचपन साल की अधेड़ औरत यदि खुद को लड़की कहे, तो उस पर हँसी से ज़्यादा तरस आता है। दादी-नानी बनने की उम्र में लड़की बनने का शौक़ चर्राया हो, तो ब्यूटी पार्लर वाली भी आत्महत्या कर लेंगी। “सींग कटाकर बछड़े बनने” का मुहावरा ऐसे ही उदाहरणों से निकला होगा। वैसे औरतों के लिए और विशेषकर अधेड़ उम्र की औरतों के लिए लड़ना
Read Moreग्राम्यांचल में वहाँ के स्थानीय विवाद निपटाने के लिए किसी मौजे की एक ग्राम -पंचायत होती है।एक मौजे में एक
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