कौन बिरिछ तर भीजत ह्वै हैं सत्य-अहिंसा दोउ भाई
दो अक्टूबर के दिन सुबह से ही दिमाग पर गांधी जी सवार थे! सुबह उठने पर यही सोचा था कि
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Read Moreउस दिन खाने की टेबल पर बैठा ही था कि मोबाइल की रिंगटोन बजी। कॉल अननोन नंबर से था। अपन
Read Moreतब और अब (व्यंग्य) आप अपनी जानें ,हम तो अपनी बात कहते हैं।कहें भी क्यों नहीं ,आज के जमाने के
Read Moreपितृपक्ष प्रारंभ हुए कई दिन बीत गए थे पर स्व. बनवारी लाल को नर्क में पितरों वाली खीर-पूड़ी नहीं मिल
Read Moreभारत की क्रिकेट टीम के उस इंग्लैंड दौरे को याद कीजिए, जिसमें से एक खिलाड़ी केवल इस बात पर तुनककर
Read Moreकई जिलों में अल्प वर्षा से सूखे की स्थिति निर्मित वर्तमान में होगई है ।बादलों की राह ताकते की कब
Read Moreदेश-भक्त ही देश की चिंता कर सकते हैं। मेरे इस कथन पर मुझे दक्षिणपंथी घोषित करते हुए उन्होंने कहा, “देशभक्त
Read Moreअखाड़ा बना , न नगाड़ा बजा न मैदान में प्रतिद्वंद्वी का मजा, न कोई किसी से लड़ा या भिड़ा, पर
Read Moreवे जमाने चले गए ,जब हम डर -डर कर जीते थे।अब हम पूरी तरह से निडर हो गए हैं। अब
Read More12 घंटे से बिजली गायब कि सुबह से बिजली गायब है, माँ ने संझा-बत्ती दे दी है, अभी भी बिजली
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