ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन सम्पन्न
मंडला–भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, फेसबुक के “अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका ” के पेज पर, संयोजक सिद्धेश्वर द्वारा आयोजित
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Read Moreवक्त की किताब के, पन्नों को, फिर से बांचना चाहता हूँ। मैं आज फिर से , उन लम्हों में झांकना
Read Moreकई-कई जगह पशु-शृंखला भी देखने को मिले, खासकर “बोतु शृंखला” •••• जब गुरु द्रोण नहीं मिले, तब एकलव्य ने खुद
Read Moreमहिलाएँ अपने-अपने ‘वो’ को ‘जान’ कहती हैं, तो ‘वर’ (पति) भी कहती हैं, यानी घुमा -फिराकर उस ‘वो’ को ‘जानवर’
Read Moreसाहित्य से सुसंचालित है समाज ! जिस जाति की सामाजिक अवस्था जैसी होती है, उसका साहित्य भी वैसा ही होता
Read Moreहम अपने बच्चों को डॉक्टर -इंजीनियर बनाते हैं, इंसान नहीं ! तो फिर दूसरे के बच्चों की इंसान बनने की
Read Moreओ३म् संसार में जानने योग्य यदि सबसे अधिक मूल्यवान कोई सत्ता व पदार्थ हैं तो वह ईश्वर व जीवात्मा हैं।
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