धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

अपनी जीवन यात्रा को इसके लक्ष्य पर पहुंचाने का प्रयत्न करना चाहिये

ओ३म् मनुष्य वा इसकी आत्मा एक यात्री के समान हैं जो किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए अपने वर्तमान जन्म

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