प्रेम
प्रेम क्या है क्या है परिभाषा इसकी कोई सुधीजन मुझको तो बतलाए मैं तो परिभाषित कर न सका प्रेम के
Read Moreआज बातें प्रकाश की करते हैं. प्रकाश एक ऐसा पदार्थ है, जिसकी मदद से हम वस्तुओं को देख पाते हैं।
Read Moreजीवन एक उत्सव, इसे क्षण -क्षण, उत्सव कर जायें। जीवन के लक्ष्य को, अक्षय कर जायें।। युगों युगों से चल
Read Moreउस दिन चांद को था देखा मैंने, कर रहा था वो भी किसी का इंतजार देखा था उसे मैंने इधर
Read Moreकहकर के पार बुनकर के सार यहाँ नहीं, तो वहाँ ! यह चिरस्मरणीय है कि मझधार और लगकर तार-तार तैयार
Read Moreआगे क्यों बढ़े ? बढ़ने के लिए उनके लिए आपदकाल और ख्याल एक और एक कहकर उसने कहा कि जब
Read Moreसभी ऋतुओं का अपना अपना महत्व है और सभी महत्वपूर्ण हैं. जितनी जरूरी ग्रीष्म ऋतु है उतनी ही जरूरी हैं
Read Moreजाल बिछाया छलिया अहेरी, कहां समझ पाई मैं नन्ही कनेरी? देकर मुझे अधम ने प्रलोभन, छीन लिया मेरा उन्मुक्त गगन।
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