कविता
रेखाओ में बंद के निकाला हैं जीवन पर अब उनहे मिटाने का निश्चय कर चुका है मेरा यह मन…… तुम्हारे
Read Moreसाहित्यिक सांस्कृतिक शोध संस्था मुंबई द्वारा दिनांक 28-29 फरवरी 2020 को दिल्ली में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर बैंगलोर
Read Moreख्यालों में पल – पल तुझे सोचता हूँ मैं ख्वाबों में भी अब तुझे ही देखता हूँ मैं। सुकूँ मिलता
Read Moreकितने प्यारे होते है पल इंतज़ार के, कभी बेइंतहा खुशी देते है , कभी इंतज़ार की झुंझलाहट ।। पर बहुत
Read Moreबहने लगे जब चक्षुओं से किसी पिता के अश्रु अकारण समझ लो शैल संतापों का बना है नयननीर करके रूपांतरण
Read Moreअपने ही हाथों छले जा रहे हैं। जाने कहाँ हम चले जा रहे हैं।। टूटी सदा ख्वाहिशें ही हमारी, आँखों
Read Moreपिता की मृत्यु के पश्चात, घर की तंगहाली और बडी़ होने का फ़र्ज़ निभाने की खातिर नौकरी करना स्वर्णा की
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