गज़ल – चाहता हूँ…
सुनो ,तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ। रंग खुशियों के सजाना चाहता हूँ। माँगी थी कभी जो दुआ तेरे लिए, आज
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Read Moreनई दिल्ली 4 फ़रवरी (डॉ. शम्भू पंवार) : पर्पल पेन साहित्यिक समूह के तत्वावधान में गणतंत्र दिवस एवं वसंत पंचमी
Read Moreजागने का वक्त है हम जग जाएँ, यूँ ही अपनी जिन्दगी को न गंवाएं आये हैं जिस काम को
Read Moreकैसे बताऊं मैं तुम्हें मेरी दृष्टी का दर्पण हो तुम दिल में छुपे हर अनकहे विचारों का वर्णन हो तुम
Read Moreएतबार की नींव खोखली दरकते है रिश्ते। बेगरज की बुनियाद पे ही बनते है रिश्ते । शीशे की मानिन्द ही
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