हंगामा
कल रात एक भूखी बकरी आई, पेड़ पर लिखी एक ग़ज़ल उसे भाई, पूरी-की-पूरी ग़ज़ल वह चबा गई, पूरे शहर
Read Moreकुछ करना चाहता हूँ, पर कुछ कर नही पाता हूँ । आगे बढ़ना चाहता हूँ, पर आगे बढ़ नही पाता
Read Moreनई दिल्ली | 7 दिसंबर 2019 को ट्रू मीडिया स्टूडियो में डॉ. सरन घई जी (संस्थापक- विश्व हिंदी संसथान, कनाडा)
Read Moreजंगलराज से आदमराज में परिणत होती हुई दुनिया स्त्रियों को गौड़ बनाकर पुरुष प्रधान हो गई। समाज और धर्म के
Read Moreसामाजिक व्यवसाथा में जुर्म का कोई स्थान नही है चाहे वह किसी प्रकार का क्यूँ न हो?सभी जुर्म के लिए
Read Moreमौजूदा हालात के भारत में बेरोजगारी की वास्तविक स्थिति किसी से भी छिपी हुई नहीं है । शुरुआती दिनों में
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