क्या कहें! कैसी भारत में आई त्रासदी हैं लडकियों को नहीं कोई आजादी है लड़कियां जन्म के पहले से ही हारी हैं गर्भ में ही मार दी जाती क्या बेचारी हैं | जैसे-जैसे बड़ी होती जाती...
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन 2122 2122 212 ==================== जख्म के अवसान कहने दो ज़रा/ चल रही बरसात चलने दो ज़रा/ कह रही दिन-रात अपनी ये वफ़ा बेवफा बन कर ठहरने दो ज़रा/ भाव तेरा देख ,पानी ने...
लखनऊ, 28 जून (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वस्थ भारत अभियान की तर्ज पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आर.एस.एस.) देशभर में मधुमेह मुक्त भारत अभियान चला रहा है। संघ के आनुषांगिक संगठन आरोग्य भारती द्वारा देश के सभी...
अपनी दुनिया को देखने में हम लगे हैं रंग भरी दुनिया रंगीन बनाने में लगे हैं कैसे बनेगा कुछ पता नहीं चल रहा है कुछ लोगों के बताने पर चल रहे हैं चलते हुए डगर पर...
हाँ मिल गई है तुम्हें आज़ादी अब मर्ज़ी से जीने की | अपने विचार बेझिझक सबके आगे रखने की | मगर हकीकत है क्या नहीं अनजान इससे कोई भी | माना आज़ादी का दुरपयोग भी हुआ...
बर्फ़ हुए लम्हों को फिर पिघलाने लगी है तेरे ख़यालों की धूप डर है कंही फिर ना बह पड़े ख्वाहिशों की वो नदी जो इक दिन गुम हो गई थी जुदाई के सहरा में गर ऐसा...
स्वामी दयानंद कि वैदिक विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में हज़ारों आर्यों ने अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार योगदान दिया। साहित्य सेवा द्वारा श्रम करने वालो ने पंडित लेखराम की अंतिम इच्छा को पूरा करने का...
हर एक पल कल-कल किए, भूमा प्रवाहित हो रहा; सुर छन्द में वह खो रहा, आनन्द अनुपम दे रहा । सृष्टि सु-योगित संस्कृत, सुरभित सुमंगल संचरित; वर साम्य सौरभ संतुलित, हो प्रफुल्लित धावत चकित । आभास...
1971 में रमेश की नौकरी देहरादून में मिनिस्ट्री आफ डिफेन्स में लग गई और वह देहरादून आ गया। फिर 1972 में मिनिस्ट्री आफ फाइनेंस में देवास में नौकरी लग गई, जहाँ नया प्रोजेक्ट लगाया गया था।...
मकान चाहे कच्चे थे लेकिन रिश्ते सारे सच्चे थे… चारपाई पर बैठते थे पास पास रहते थे… सोफे और डबल बेड आ गए दूरियां हमारी बढा गए…. छतों पर अब न सोते हैं बात बतंगड अब...
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