कोरोना
संसार कितना बदल दिया, तुमने कोरोना; हर ज़िंदगी को बना दिया, तुमने खिलौना! रोका है आना जाना, मिलना और मिलाना;
Read Moreकाल चक्र घूमता है, केन्द्र शिव को देखलो; भाव लहरी व्याप्त अगणित, परम धाम परख लो! कितने आए कितने गए,
Read Moreहिम आच्छादित धरती रहते, हिय वसंत हम कितने देखे ! भावों से भास्वर जगती पै, आयामों के पहरे निरखे !
Read Moreभव भय से मुक्त अनासक्त, विचरि जो पाबत; बाधा औ व्याधि पार करत, स्मित रहबत ! वह झँझावात झेल जात,
Read Moreपतझड़ में जो पत्ते देखे, कहाँ समझ जग जन थे पाए; रंग बिरंगे रूप देख के, कुछ सोचे वे थे
Read Moreतुम सुर में बसी उनकी झलक, लख लिया करो; आओ न आओ उनकी ग़ज़ल, गा लिया करो ! दरम्यान उनके
Read Moreनेत्र जब नवजात का झाँका किया, शिशु जब था समय को समझा किया पात्र की जब विविधता भाँपा किया, देश
Read Moreतत्व रूप में हिन्दी व अन्य सभी मातृ भाषाएँ भारत की ही नहीं विश्व भर की सम्पत्ति, धरोहर व अमानत
Read Moreप्रभु कृपा से अभिभूत सब, आनन्द अद्भुत पा रहे; मिल परस्पर उनसे मिले, आशीष उनका भा रहे ! रचते वही
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