होली
होरी के रंग मे रंगा गाँव-शहर सब संग, कलाकन्द गुझिया कटैं देखि पूर्णिमा चन्द। देखि पूर्णिमा चन्द लाल गुलाल उड़ावै,
Read Moreरंगों के सँग खेलती,एक नवल- सी आस ! मन में पलने लग गया,फिर नेहिल विश्वास !! लगे गुलाबी ठंड
Read Moreफिर से कुछ गीदड़ शेर का सीना छलनी कर गए, मेरे वतन तेरे आँचल पर लहू के दाग नहीं सुहाते।
Read Moreउसका कुछ नही बिगड़ा ‘दवे’ तेरी नाराजगी देख कर भी, मेरे आंसुओं का क़र्ज़ न उतारा गया, और वो हंस
Read Moreशिव महिमा”पर दोहे द्वादश लिंग बिराजते, पावन तीरथ धाम। आग नयन विष कंठधर, त्रिपुरारी प्रभु नाम।। फागुन चौदस रात को,बिल्वपत्र
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