“मकरंद छंद”
नयन सुखारे, वचन विचारे बुधि सुधि सब सुख, हरि चित लाए। लय बिन रागा, विचलित कागा चरन कमल प्रभु, रिधि
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Read Moreगैया मेरी काबरी, मुझे पिलाये दूध गर्मी बेपरवाह है, हौका पानी धूध् हौका पानी धूध्, खुले आकाश विचरती मैली हुई
Read Moreमुंह देखी मत बात बनाओ रोज रोज कस होठ चबाओ हाव भाव रखे मिलता मान ए सखि सोहबत, न सखि
Read Moreआज सोच रही थी तुम्हें उतने में चुपके से बाए आँख के पोर से एक आंसू की बूँद जैसे खुद
Read Moreगोबर, तुम केवल गोबर हो। या सारे जग की, सकल घरोहर हो। तुमसे ही निर्मित, जन-जन का जीवन, तुमसे ही
Read Moreअगर हौसला तुम में है तो, कठिन नहीं है कोई काम। पाँच – तत्व के शक्ति – पुंज, तुम सृष्टी
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