बचपन में एक झोले वाला मुझको बड़ा रिझाता था हाथों में बांसुरी लिए मधुर तान सुनाता था सुरम्य रसीली बंसी की धुन पर हर बालक सम्मोहित था जब जब तान बंसी की सुनता मन उल्लास से भरता था न पाकर उसको गली मे मैं बहुत डर जाता था बांछ बांछ खिल जाती मेरी जब वो […]
बाल साहित्य
सपनों का संसार
कितना प्यारा होता हैसपनों का संसार होते हैं यहाँ पर क़ई असंभव चमत्कार आकाश में हम उड़ते हैं दरिया में गोते लगाते हैं फूलों के घर बनाके मोतियों से सजाते हैं सुरज-चाँद से मिलके हम खेलते हैं आँख मिचोली तारों को सजाके हम बनाते हैं रंगोली सपनों की इस दुनिया में होती है अपनी राज […]
पद्य कथा : गुरु–चेला और शालिग्राम
एक गुरु का था एक चेला , चंचल ,चतुर और अलबेला | एक दिन गुरु चले देशाटन , सौंप गए चेले को आसन | पत्थर काला ,गोल दिखाया चेले को रहस्य समझाया | ये हैं शालिग्राम हमारे , हम सब भक्तों के रखवारे | रोज सुबह इनको नहलाना , रोली – चन्दन खूब लगाना | […]
तीन वरदान
मोनू एक गरीब सपेरा था। वह अपनी विधवा माँ के साथ एक झोपड़ी में रहता था। गरीबी के कारण वह पढ़ लिख नहीं सका। इसलिए जंगल में साँप पकड़कर उनका जहर निकालता और पिटारी में भरकर लोगो को घूम-घूम कर दिखाता। जो लोग साँपों को नाग देवता के रूप में पूजते, वे मोनू को पैसे […]
ठण्डे रस का भरा माल था
जब गरमी की ऋतु आती है! लू तन-मन को झुलसाती है!! तब आता तरबूज सुहाना! ठण्डक देता इसको खाना!! यह बाजारों में बिकते हैं! फुटबॉलों जैसे दिखते हैं!! एक रोज मन में यह ठाना! देखें इनका ठौर-ठिकाना!! पहुँचे जब हम नदी किनारे! बेलों पर थे अजब नजारे!! कुछ छोटे कुछ बहुत बड़े थे! जहाँ-तहाँ तरबूज […]
कविता और विज्ञान
नीला सुंदर गगन यह विस्तृत कल्पना हुई पूर्ण कवि की, अरे , यहाँ कोई रंग कहाँ है? ये तो माया है’अपवर्तन’ की। अहा जरा इनमें तो झांको नायिका की भावपूर्ण आँखें कहाँ, अरे ये तो मानव की साधारण सी’ दृशयेंद्रियाँ ‘हैं। इस पृथ्वी से दूर स्वर्ग में देवताओं का वास रहा है आज के मानव […]
बालकविता : दंतुरित मुस्कान तुम्हारी
दंतुरित मुस्कान तुम्हारी हमको लगती अति प्यारी बगैर इसके रह नहीं पाते दर्द तुम्हारा सह नहीं पाते देख तुम्हारी आँखें प्यारी थकान सारी दूर हो जाती तुम्हारे नन्हे हाथों की कलाकारी तनाव सारा दूर भगाती दंतुरित मुस्कान तुम्हारी हमको लगती अति प्यारी जब मुख तुम्हारा खुलता है शब्दों का मेला निकलता है उन शब्दों में […]
बालगीत – सर्दी ,गर्मी और बरसात
गर्मी गरम – गरम रसगुल्ला , सर्दी रबड़ी और मलाई , कॉफी – चाय सुड़कती सर्दी , गर्मी शरबत और ठंडाई | गर्मी कुरता – पाजामे पर , बड़ा अंगौछा डाल के आई , सर्दी मफलर खूब लपेटे , कोट पहनकर बांधे टाई | गर्मी ढूँढ़े पंखा – कूलर , सर्दी गरम अंगीठी लाई , […]
नानाजी का पतंग शौक
चुन्नु-मुन्नू के नानाजी को, पतंग उड़ाने का शौक लगा, रंगीले पतंगों को देखा तो उनको ये बे-रोक लगा..! नानाजी ने झुर्रीले हाथों में पतंग उठाई, एक हवा के झोंके ने हाथों से छिटकाई, नानाजी धीमे-धीमे पतंग के पीछे दौड़े, पतंग गिरी छत के नीचे फिर भी ना पीछा छोड़े, साँसे नानाजी की फूलने को थी […]
पांच बाल कवितायेँ
1-चूहे भाई ढूँढ़ कहीं से लाए रजाई छिपकर बैठे चूहे भाई। बाहर गिरे बर्फ़ के गोले, मुश्किल से थी जान बचाई। 2-बज गया बाजा चूहे की बारात जो आई बिल्ली ने फिर डाँट लगाई । सरपट दौडे चूहे राजा बिना बैंड ही बज गया बाजा । 3-आसमान को छूलें आओ बच्चों खेलें हम […]