लेख – आवश्यकता है दृष्टि को बदलने की
हमारे जीवन की सबसे बड़ी विडंबना ये है कि पसंद है वो प्राप्त नहीं होता और जो प्राप्त है वो
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Read Moreकुछ तो चल रहा है। कुछ तो ऐसा है, जिसके कारण लोगों ने आक्रोश दिखाया है। पिछले साल से ही
Read Moreडॉ दादूराम शर्मा ने गणतंत्र को परिभाषित करते हुए लिखा है- नेता-अफ़सर पाट दो, चक्की है यह तन्त्र। जनगण गेंहू
Read Moreसंविधान हमें जीवन रक्षा का अधिकार ही नहीं देता, समानता और सामाजिक बराबरी की बात भी करता है। तो क्या
Read Moreआज के वर्तमान समय में किसी भी सामूहिक भोज को आयोजित करते समय बुफे सिस्टम को ही वरीयता दी जाती
Read Moreविरोध भी बंधन का एक प्रकार है। आप जिस भी वस्तु या व्यक्ति का विरोध करते हैं जाने-अनजाने स्वयं को
Read Moreये कंजूस भी अजीब ही लोग होते हैं। इसे मानसिक रुग्णता ही कहा जाना चाहिए। आखिर क्यों कोई कंजूस होता
Read Moreयह जरुरी नहीं कि जीवन में हमेशा प्रिय क्षण ही आएं एवं दूसरे लोगों का अनुकूल व्यवहार ही हमें प्राप्त
Read Moreओ३म् आज का युग आधुनिक युग कहलाता है जहां क्या वृद्ध, क्या युवा और क्या बच्चे, सभी पाश्चात्य संस्कारों में
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