लेख– नारों के फ़ेर में देश को मत उलझाईए।
सरकारें जनकल्याणकारी होने का कितना ही दम्भ क्यों न भर ले। लेकिन शायद तत्कालीन परिस्थितियों को देखकर यह कहना गलत
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Read Moreआज हमारे समाज में मानवता रूपी फूल मुरझा सा गया है। आभासी दुनिया में लोग इतने मशगूल हो गए हैं,
Read Moreक्रान्ति भूमि मेरठ से आजाद भारत वर्ष में राष्ट्रोदय का शंखनाद नए भारत का निर्माण करेगा | संपूर्ण विश्व में
Read Moreपृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों में हवा, पानी, मिट्टी, खनिज, ईंधन, पौधे और पशु-पक्षी शामिल हैं। इन संसाधनों की देखभाल करना
Read Moreअगर राजनीतिक दल सिर्फ़ चुनावी जुमलों औऱ आपसी आक्षेप की राजनीति में ही उलझे रहेंगे, फ़िर समाज के अंतिम व्यक्ति
Read Moreकिसी राज्य में दस लाख छात्र अगर परीक्षा छोड़ दें। तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हालात कहाँ पहुंच
Read Moreकहते हैं, स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है, औऱ स्वस्थ मस्तिष्क होगा, तभी समाज को स्वस्थ बनाने
Read Moreसेवा क्या होती है ? कब होती है ? कैसे होती है ? क्यों होती है ? कौन करता है
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