कविता

हाइकु कविताएँ

भाग्य सफल
मानसिक संबल
कष्ट विफल ।

जीवन ज्ञान
ठोकरों से ही मिले
पूर्ण संज्ञान ।

कीच कमल
अद्वितिय सृजन
लक्ष्मी चरण ।

नास्तिक भला
मन में पाप लिए
आस्तिक चला ।

मृत थी शिला
घिस घिस चन्दन
ईश्वर मिला ।10867114_552941778174812_1544490093_n

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

6 thoughts on “हाइकु कविताएँ

  • गुंजन अग्रवाल

    hardik aabhar gurmel sir ji

  • गुंजन अग्रवाल

    shukriya vijay bhai

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी हाइकु. अच्छा सन्देश देती हैं.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छा लगा ख़ास कर नास्तिक भला , मन में पाप लिए आस्तिक चला , वाह वाह किया बात कही है .

  • गुंजन अग्रवाल

    धन्यवाद सुधीर जी

Comments are closed.