कविता

नीम की तरह

 

लज्जा है तुम्हारा घूँघट
संकोच है तुम्हारा गहना
मौन रह कर
आता है तुम्हें
प्यार भरी बातो को कहना

मै तो मुग्ध हूँ तुम पर
खींचा चला जाता हूँ
जिधर इशारा करते हैं
तुम्हारे दो खूबसूरत नयना

ठिठक गया हूँ ,खो गया हूँ
निहारकर तुम्हारा दिव्य रुप
भूल गयी है
मेरे मन की नदी अपना बहना

तुम्हे निहारते ही
इस प्रस्तर से कठोर शहर में
याद आता है मुझे
गांव का वह
मीठे जल से भरा मृदु झरना

वियोग क सच यदि
नीम की तरह कडुवा है लगता
तो क्या हुआ
तुमसे तो रोज ही मिलता हूँ
जब नींद में
देखा करता हूँ
मैं मधुर सपना

किशोर कुमार खोरेन्द्र 

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.