कविता

मंजिल…..

लौट रहा हूँ

उन्ही पगडंडियों से

उन्ही रास्तों से

उन्ही सुरंगों से

उसी जंगल से होकर

गांव के सरोवर में खिले कमल

को निहारते हुए

गगनचुम्बी चिमनियों के शहर में

फिर से…..

मैं व्यर्थ ही क्षितिज तक चला गया था

सागर में इतराती लहरों ने कहा –

हमारे पास न सीप है न मोती

तब मैंने जाना

मंजिल मैं खुद था

रास्तों पर गुबार के समूह सा

भटक रहा था

किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.