कविता

सपनों में सूरत

 

आँखों में जो सपने थे सपनों में जो सूरत थी
नजरें जब मिली उनसे बिलकुल बैसी मूरत थी
जब भी गम मिला मुझको या अंदेशे कुछ पाए हैं
बिठा के पास अपने उन्होंने अंदेशे मिटाए हैं
उनका साथ पाकर के तो दिल ने ये ही पाया है
अमाबस की अँधेरी में ज्यों चाँद निकल पाया है
जब से मैं मिला उनसे दिल को यूँ खिलाया है
अरमां जो भी मेरे थे हकीकत में मिलाया है
बातें करनें जब उनसे हम उनके पास हैं जाते
चेहरे पे जो रौनक है उनमें हम फिर खो जाते
ये मजबूरी जो अपनी है हम उनसे बच नहीं पाते
देखे रूप उनका तो हम बाते कर नहीं पाते
बिबश्ता देखकर मेरी सब कुछ वो समझ जाते
आँखों से ही करते हैं अपने दिल की सब बातें

— मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: madansbrac@gmail.com ,madansbarc@ymail.com

One thought on “सपनों में सूरत

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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