कविता

देश गान

क़ताः मुबारक हो तुम्हें ये शुभ घड़ी,तुमको बधाई है ।
सलामत तू रहे,दिल से मेरे आवाज़  आई  है ।।

तेरा गुलशन सदा आबाद रहे, मेरे  वतन ।
प्यार की ख़ुशबू से दिल शाद रहे मेरे वतन ।।
तेरा गुलशन सदा……..
किसी दुश्मन की बदनज़र न पड़े तुझ पे कभी ।
तेरी  सीमा भी निर्विवाद रहे , मेरे  वतन ।।
तेरा गुलशन सदा…….
तेरे  खेतों  में  हरे  रंग  की  बहार  रहे  ।
अन्न का कोई न अवसाद रहे,मेरे वतन ।।
तेरा गुलशन सदा……..
हिन्दू मुस्लिम व इसाई ओ सिक्ख मिल के रहें।
फ़िर्क़ादारी  से तू  आज़ाद रहे, मेरे  वतन ।।
तेरा गुलशन सदा…….
बोस ,बिस्मिल ,गुरु ,अशफ़ाक,भगत,मंगल की ।
तेरे बच्चों को सदा याद रहे, मेरे वतन ।।
तेरा गुलशन सदा…….
दिल में हसरत है यही,तुझ पे फ़ना हो जाऊँ ।
नाम मेरा भी  मेरे  बाद रहे, मेरे  वतन ।।
तेरा गुलशन सदा……..
आसमाँ पे तेरे ये ‘ भान ‘ चमकता  ही  रहे ।
तू  ज़िन्दाबाद ,ज़िन्दाबाद रहे ,मेरे वतन ।।
तू ज़िन्दाबाद,ज़िन्दाबाद रहे…… ..
०००
 उदय भान पाण्‍डेय ‘ भान ‘

उदय भान पाण्डेय

मुख्य अभियंता (से.नि.) उप्र पावर का० मूल निवासी: जनपद-आज़मगढ़ ,उ०प्र० संप्रति: विरामखण्ड, गोमतीनगर में प्रवास शिक्षा: बी.एस.सी.(इंजि.),१९७०, बीएचयू अभिरुचि:संगीत, गीत-ग़ज़ल लेखन, अनेक साहित्यिक, सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव

2 thoughts on “देश गान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    देश प्रेम की महान कविता ,बहुत अच्छी लगी.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !
    निसार मैं तेरी गलियों पे ए वतन जहाँ।
    चली है रस्म कि कोई न सिर उठा के चले।

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